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माता- पिता द्वारा अपने बच्चों में पछपात करना कितना सही। – Partiality by Parents.

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Waldain ke dwara apne bachcho me farq karna kitna sahi hai – Partiality / favourism by Parents

partiality by parents
partiality by parents

दोस्तों अक्सर आप लोगों ने ये लोगो से सुना होगा  कि ‘माता-पिता भगवान समान होते है’,  निःसंदेह माता-पिता भगवान समान ही होते है क्योकि दुनिया में माँबाप से ज्यादा कोई अपने बच्चों को निःस्वार्थ और सच्चा प्यार कोई और नहीं कर सकता। और सारे  ही धर्म  में माँबाप को बहुत महत्व् दिया गया है। इस्लाम में तो पवित्र क़ुरआन में कहा गया है किजब तुम्हारे माँबाप बूढ़े हो जाये तो उनको उफ़ तक कहो,  माँबाप की सेवा भी ज़न्नत में जाने का जरिया बनेगा ।

माँबाप का जो महत्व् है, निःसंदेह वो तो हमेशा ही वैसा ही रहेगा । लेकिन ये अक्सर देखा गया है कि अगर किसी माँबाप की एक से ज़्यादा संतान (औलाद) है तो कुछ माँबाप अपने ही बच्चों में पछपात करने लगते है ।  बहोत सारे ऐसे मामले अक्सर सुनाई देते है जहां एक बेटा या बेटी ने उनकी ज़रा सी नाफरमानी कर दी तो चाहें वो बेटा या बेटी पहले कितने ही अच्छे (नेक) क्यों न हो पर  उनके ही माँबाप उन्हें अब इतना अच्छा नहीं समझेंगे और अब अगर उन माँबाप की जो दूसरी संतान (औलाद) है पहले वो चाहें जितने ही बुरे हो लेकिन अब वो उनको ही अच्छा जानेगे और हर मामले में उनका ही पछ लेंगे।  खासकर अगर उनका बेटा या बेटी ने उनकी पसंद की लड़की या लड़के से शादी करने से इनकार कर दिया तो और उनके दूसरे बेटा या बेटी ने उनकी पसंद की लड़की या लड़के से शादी कर लिया तो अब यही इनके लिए सबकुछ हो जायेंगे  और इनकार करने वाली संतान (औलाद) उन्ही  माँबाप के लिए अब पराई हो जायेंगे। यहाँ तक की बहुत सारे मामले में इनकार करने वाली संतान (औलाद) को उनके माँबाप उनको घर से और जयदाद से भी बेदख़ल कर देते है ।

अब वो बेटा या बेटी कहा जायेंगे और किससे अपना दुःख बताये या वो जिससे भी अपना दुःख दर्द  बताएँगे, चाहें उनके अपने रिश्तेदार हो या कोई समाजसेवी या फिर कोई धर्मगुरु हो, हर कोई उन्ही बच्चों को ही गलत कहेगा। ये कहा का इंसाफ है और किस धर्म अपने पसंद का विवाह करने के लिए मना किया गया है।

दोस्तों अक्सर बहुत सारे ऐसे मामले  सुनाई देते है जहां पर अगर बेटा अपनी पत्नी की तरफ़ से बोल दे यदि उसकी पत्नी सही बात पर हो और माँबाप हक़ पर न हो (ग़लत बात पर हो) तबभी ये बेटा अपने माँबाप के लिए पराया हो जायेगा। 

अगर एक भाई की कमाई ज्यादा है और वो अपने  माँबाप को ज्यादा पैसा देता है और दूसरे भाई की कमाई कम है और वो अपने  माँबाप को कम पैसा देता हो तो बहुत जगह जहा जो ज्यादा पैसा कमाता है उसको माँबाप बहुत पसंद करते है और जो कम कमाता है उसको इतना अहमियत नहीं दिया जाता है। 

बहुत से  माँबाप छोटे बेटे को ज्यादा चाहते है और बहुत लोग बड़े बेटे को, बहुत से  माँबाप बेटी को ज्यादा चाहते है और बहुत लोग बेटे को, आखिर ऐसा क्यों होता है क्या  सभी बच्चों को बराबर नहीं प्यार किया जा सकता है । 

दोस्तों ऐसे बहुत सारे मामले  है जहां पर माँबाप द्वारा अपनी ही संतानों (औलादों) में पछपात (फ़र्क़) करते है और ये बीमारी हमारे समाज में बहुत तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि ये मामला बहुत ही संवेदनशील और भावनावों  से भरा होने की वज़ह से लोग इस पर बहुत ही कम बात करते है, जो पीड़ित भी होता है वो भी नहीं बोलता, क्योंकि वो जानता है हर कोई उसी को ही गलत कहेगा।  अगर धर्म की बात करे तो  जहां एक ओर सारे  ही धर्म  में माँबाप को बहुत महत्व् दिया गया है, तो वहीं दूसरी ओर माँबाप द्वारा अपनी ही संतानों (औलादों) में पछपात (फ़र्क़) करने को हर धर्म में गलत कहा गया है, इस्लाम में तो कहा गया है कि “अगर तुम (माँबाप) बाज़ार से सेब भी घर में लाते हो और बच्चें है तो उसको  आधाआधा  काट कर दोनों को बराबर दो  

एक बात और कहना चाहूंगा कि माता-पिता भगवान समान होते है, लेकिन भगवान नहीं होते है, क्योंकि जो लोग झूठ बोलते है, धोखा देते है या और कोई गलत काम करते है, क्या वो लोग माँबाप नहीं होते, निश्चित ही होते है तो ऐसा सोचना कि माता-पिता  से गलती (गुनाह) नहीं होते तो ऐसा गलत है, वो भी इंसान है और गलती इंसान से ही होती है । 

माता-पिता को अपने बच्चों में पछपात करने से रोके कौन ? Who to stop partiality by Parents ?

दोस्तों, अब सवाल ये उठता है कि अगर कोई माँबाप अपनी संतानों (औलादों) में पछपात (फ़र्क़) करते है तो उनको रोके कौन, उनका  वो बेटा या बेटी या कोई और ? तो ज़वाब ये है कि कोई  बेटा या बेटी अगर अपने माँबाप से सवाल करेगा तो वो मुमकिन है की वो गुस्से में उनका आदर (अदब) भूल जायेगा, इसलिये इस मुद्दे को उठाने की जिम्मेदारी हमारे बड़े, समाजसेवी और धर्मगुरु (उलेमा) की है, वो इस मुद्दे को अपनी सभा में उठाये। 

(नोट):

इस उपर्युक्त विषय पर अपने विचार लिखना ये लेख़क के स्वयं के है इसका किसी भी व्यक्ति से लेनादेना नहीं है, और इसका मकसद किसी की भावनावों को ठेस पहुंचने का नहीं है।   इस विषय में केवल उन्ही माँबाप के लिए लिखा गया है जो अपनी संतानों (औलादों) में पछपात (फ़र्क़) करते है, यदि किसी की भावनावों को ठेस पहुँचती है लेख़क माफ़ी मांगता है, धन्यवाद ।

Parental favourism : https://www.deccanherald.com/science/younger-siblings-favoured-more-even-as-parents-partial-towards-daughters-agreeable-kids-study-3361564#google_vignette

Partiality by Parents – https://www.youtube.com/watch?v=-_qFC_p2ips

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