
Muharram quotes in hindi – Shayari, sms
Kya azab tamasha hua Islam ki taqdeer ke sath,
Qatl Shabbir hue, naara e Takbeer ke sath
–Allama Mohammad Iqbal
I learned from Hussain how to achieve victory while being oppressed
– Mahatma Gandhi
क़त्ल ए हुसैन अस्ल में मर्गे यजीद है,
इस्लाम ज़िंदा होता है हर कर्बला के बाद
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सज़दे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने,
नेज़े पर सिर था और ज़बान पर आयतें
क़ुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने !
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेज़े पर भी क़ुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन
हुसैन है इस्लाम को बनाने वाला
कर्बला की शहादत इस्लाम बन गयी,
खून तो बहा लेकिन क़ुरबानी हौसलों की उड़ान बन गयी !
सज़दा से कर्बला को बंदगी मिल गयी,
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी,
एक चमन फातिमा का गुज़रा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी !
वो जिसने अपने नाना का वडा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपुर्द ए खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का ज़ाम ,
उस हुसैन इब्ने अली पर लाखो सलाम !
यूँ ही नहीं जहान में चर्चा हुसैन का,
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का,
सर दे के दो जहान की हुक़ूमत खरीद ली,
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का !
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीं ,
आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का,
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख,
होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का !
कौन भूलेगा वो सज़दा हुसैन का,
खंज़रो तले भी सिर झुका न था हुसैन का,
मिट गयी नस्ल ए यज़ीद कर्बला की ख़ाक में,
क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का !
दिन रोता है रात रोती है,
हर मोमिन की ज़ात रोती है,
जब भी आता है मुहर्रम का महीना,
खुदा की कसम ग़म-ए -हुसैन पे सारी क़ायनात रोती है!
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर
दिया घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम!
सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी
एक चमन फातिमा का उजड़ामगर सारे
इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी!
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली
महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का!
करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है
उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है यूँ तो
लाखों सर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो
सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है!
दिन रोता है रात रोती है दिन रोता
है रात रोती है हर मोमिन की जात रोती
है जब भी आता है मुहर्रम का महिना खुदा
की कसम ग़म-ए-हुसैन सारी कायनात रोती है!
कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का खंजरों
तले भी सर झुका ना था हुसैन का मिट
गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में
क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का!!!
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन
आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का फिर
चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख होता है
आसमान पे भी मातम हुसैन का!!!
मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी
ना डिगा वो हौसलों से अपने
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी!!!

जन्नत की आरजू में कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो करबाला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आंखिरत में जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो मरना हुसैन से!!!
यूं ही नहीं चर्चा हुसैन का कुछ देख के हुआ था
जमाना हुसैन का, सर दे के दो जहां की हुकूमत खरीद
ली महंगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का!!!
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात
बने इमान फिर से जगाओ तो कोई बात
बने लहू जो बह गया कर्बाला में उसके
मकसद को समझो तो कोई बात बने!!!
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
कर्बला की जमीं पर खून बहा,
कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी,
खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था, खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।
लुटा के अपने घर-बार कर्बला में,
हुसैन ने जमाने को इंसानियत का सबक दिया।
कर्बला की रूहानी जमीं पे, हुसैन का है नाम,
जो वफा का पैगाम लाए, उसे हुसैन कहते हैं।
मुहर्रम के मौके पर याद करो वो कुर्बानी
जो सिखा गया सही मतलब इस्लाम की
जमाना हुसैन का सर दे के दो जहां की हुकूमत खरीद
ली महंगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है।
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया।
हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।
न हिला पाया वो रब की मैहर को, भले ही जीत गया वो कायर जंग,
पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ, वही था असली और सच्चा पैगंबर।
आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे, ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,
ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।
या हुसैन! तेरी शहादत,है ईमान की शान।
तेरे जैसा बहादुर,दुनिया में कोई नहीं हुआ।
आज भी तेरे अकीदे पर,लाखों लोग चलते हैं।
आज भी तेरे अकीदे पर, लाखों लोग चलते हैं।
या हुसैन! तेरी शहादत, है हमेशा के लिए अमर।
मुहर्रम हम सब मिलकर शहीदे कर्बला की याद में
नमाज, मातम और मजलिस में शामिल होते हैं।
या हुसैन! आपकी शहादत ने हमें सिखाया है
कि कैसे तकलीफ में आपने हमें बचाया है।
कर्बला की रेत पर बिखरी जो हुसैन की लाश,
हर ज़र्रा कह रहा था, हुसैन हम शर्मिंदा हैं।
रूहें भी आज रोईं, हर शब गम में डूबी,
कर्बला की मिट्टी आज भी नम है हुसैन की कुर्बानी से।
लुटा के अपने घर-बार कर्बला में,
हुसैन ने जमाने को इंसानियत का सबक दिया।
कर्बला की रूहानी जमीं पे, हुसैन का है नाम,
जो वफा का पैगाम लाए, उसे हुसैन कहते हैं।
मुहर्रम के मौके पर याद करो वो कुर्बानी
जो सिखा गया सही मतलब इस्लाम की
जमाना हुसैन का सर दे के दो जहां की हुकूमत खरीद
ली महंगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
या हुसैन! आपकी क़ुरबानी की मिसाल नहीं कोई,
आपकी शहादत है, हर मुश्किल में ढाल हमारी।
कर्बला की वीरता, हुसैन ने दिखाई,
सच्चाई की राह में, कभी ना झुके सिर झुकाई।
खुदा की मर्जी पर, किया हुसैन ने खुद को कुर्बान
कर्बला की धरती पर, उन्होंने लिख दिया अपना नाम।
या हुसैन! आपके नाम की हमेशा रहेगी धूम,
आपकी शहादत है, हर मुसलमान के लिए महकता फूल।
कर्बला के मैदान में हुसैन ने दिया बलिदान,
सच्चाई और इंसाफ के लिए, उन्होंने दिया अपना नाम।
मुहर्रम का मतलब है सच्चाई और इंसानियत के लिए लड़ना।
कर्बला के शहीदों की कुर्बानी को सलाम।
Imam Hussain A.S. ibne Ali details in wikipedia : https://en.wikipedia.org/wiki/Husayn_ibn_Ali