
दोस्तों,
खूनी-रिश्तें वो रिश्ते होते है जो खून के जरिये बनते है, यानी जन्म से ही, जैसे माता-पिता, बच्चें, भाई-बहन, दादा-दादी आदि। खूनी-रिश्तें विवाह या अन्य कोई कारण से नहीं बल्कि जन्म से बनते है। अगर देखा जाये तो ये जो खूनी-रिश्तें होते है वो इंसान नहीं बनाते, ये रिश्ते खुदा है, जैसे किसी बच्चे के कौन माता-पिता, बच्चें, भाई-बहन, दादा-दादी आदि होंगे वो बच्चा खुद नहीं बनता बल्कि ये रिश्तें तो खुदा खुद ही बना कर बच्चे को दुनिया में भेजता है। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति चाहे कि वो अपने लिए लड़का या लड़की को जन्म दे तो वो भी इंसान के बस में नहीं है तो भी खुदा ही तय करता है है कि किस व्यक्ति को लड़का देना है और किस व्यक्ति को लड़की देना है और किस व्यक्ति को दोनों देना है और किस व्यक्ति को कुछ भी नहीं देना है, ये सारे फ़ैसले खुदा खुद करता है। इसलिए ये कहना उचित होगा कि जो भी खूनी-रिश्तें होते है वो खुदा ही बनाते है।
निष्कर्ष :
वैसे तो खूनी-रिश्तों का महत्त्व हर मज़हब में बताया गया है। लेकिन इस्लाम में खूनी-रिश्तों पर बहुत ज़ोर दिया गया है। इस्लाम में कई जगह ये कहा गया है कि अपने खूनी-रिश्तों को हमेशा निभाव और उनके साथ अच्छे से पेश आओ। और इनसे कभी भी रिश्ता खत्म न करो।
ये बात सच है कि हम चाहते हुए भी कभी भी खूनी रिश्तों को खत्म नहीं कर पाते, इसलिए भले ही हम अलग अलग रहे लेकिन हमेशा अपने खूनी रिश्तों से जुड़े रहे और उनके सुख और दुःख में हमेशा साथ दे।
Importance of Family relation : https://www.favouritehomes.com/importance-family-relationships/
(नोट):
इस उपर्युक्त विषय पर अपने विचार लिखना ये लेख़क के स्वयं के है इसका किसी भी व्यक्ति से लेनादेना नहीं है, और इसका मकसद किसी की भावनावों को ठेस पहुंचने का नहीं है। धन्यवाद ।
Mahmood Khan, Author